Thursday, January 10, 2013


छोटी सी जिंदगानी , अरमान निकले भी तो कम |
कई बार जिंदा हुए, कई बार दफन हुए हम ||

कोई शिकवा भी नहीं तुझसे ऐ खुदाया |
तेरी कुदरत में जियें हैं , कभी सूखे कभी नम्म ||

उसपे वो करें , खुश रहने की दुआ |
ये कैसी अदा है मेरे अज़ीज़ मेरे सनम ||

रज़ा में तेरी, रज़ा है सब की |
ना मांगूं कुछ ज्यादा, ना चाहूं कुछ कम ||